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तरलनयन छंद "नटवर छवि" कबहुँ पड़त, कबहुँ उठत। नटवर जब, सँभल चलत।। ठुमकि ठुमकि, धरत चरण। सरस सकल, यह विवरण।। यशुमति लख, अति पुलकित। तन मन दृग, हृदय चकित।। रह रह ...